U TURN

गुरुवार, 3 अक्तूबर 2013

बहरूपिया

तुमने क्रांति की बातें की
लोगों ने हाथ उठा कर तुम्‍हारी आवाज बुलंद की,
तुमने न्‍याय की बात की
लोगों ने अपनी जान हथेली पर रख ली,
तुम मांगते गए 
लोग देते गए,
तुम जानते हो लोग अब किसी का साथ नहीं देते,
वे ठगे गए थे बार-बार,
पर बार-बार भरोसा टूटने के बाद भी
कुछ भरोसा हर शख्‍़स के भीतर रह जाता है !

इस बार
तुम मानवता के नाम पर आए
तुम इस बार भी खरे उतरे,
सारे विश्‍वासों, आस्‍थाओं और निष्‍ठाओं से परे
तुमने एक बार फिर उन्‍हें लूटा !!

तुम अब भी छाती तान कर बात करते हो,
क्रांति की, न्‍याय की और मानवता की,
क्‍या खूब तुम बदल देते हो
झूठ को सच में
अन्‍याय को न्‍याय में
निर्लज्‍जता को लज्‍जा में
पत्‍थर दिलों को पिघलाकर
सांचों में ढ़ालना तुमने कहां से सीखा
तुम आदमी हो या बहरूपिए
तुम जो भी हो,
बस इतना जान लो,
तुम्‍हारी समस्‍त कलाओं की भी एक सीमा है !!! 

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आप की इस प्रविष्टि की चर्चा शनिवार 05/10/2013 को हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल : 017 तेरी शक्ति है तुझी में निहित ...< a href=http://hindibloggerscaupala.blogspot.in/ >
    - पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर ....

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  2. रचना को इस मंच पर साझा करने के लिए आपका आभारी हूं उपासना जी.

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