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गुरुवार, 4 अक्तूबर 2012

वैलकम बैक डियर फ्रैंड !!!




आज तो गज़ब हो गया. मेरा दोस्‍त, मेरा अपना चाय का कप जो आफिस में दो दिन पहले खो गया था......आज वापस मिल गया. कसम से ऐसा लग रहा है कि कोई बिछड़ा हुआ बरसों बाद मिल गया हो. पिछले कुछ रोज में अपने चाय के कप से मेरी गहरी दोस्‍ती हो गई थी . दरअसल कप एक अजीज दोस्‍त ने सिकिम्‍म या दार्जिलिंग से लौटकर उपहार के रूप में दिया था. सो कप भी अजीज हो गया. यूं तो ये जरूर कॉफी या ऐसी ही किसी खास चीज को पीने के लिए बना होगा. पर ये मेरा सुबह 11 बजे के फर्स्‍ट आफिशियल टी ब्रेक का कई महीनों से संगी है. शायद इसीलिए सरकारी कप में चाय अब बेस्‍वाद लगने लगी थी. खैर, .....दो दिन पहले बेख्‍याली में किसी दोस्‍त से गुफ्तगू के दौरान मैं इसे अपने कमरे से बाहर कहीं टिका कर भूल गया और जब कप का ख्‍याल आया तो बहुत देर हो चुकी थी. कप गायब था. अब कमबख्‍त चाय पीने में कोई स्‍वाद नहीं आ रहा था. तभी चपरासी ने बताया कि साहब आप जैसा कप तो मैंने आज इसी गलियारे में लाल सी शर्ट पहने एक लड़के के हाथ में देखा था. मुझे लगा उसके पास भी आप जैसा ही कप होगा.

 बस फिर क्‍या था.....लाल शर्ट वाले लड़के की खोज शुरू हुई और कमरे का दरवाजा खुला छोड़ दिया और निगाहें गलियारे से गुजरने वाले हर लाल शर्ट वाले आदमी को खोज रही थीं. कसम से किसी की शर्ट जरा भी लाल नज़र आती तो वो चोर सा नज़र आता. मैं हर बार चपरासी को पूछता कि 'देखना कहीं ये तो नहीं था'. कई बार शर्म भी आ रही थी लोग क्‍या सोचेंगे ....एक टुच्‍चे से कप पर इतनी जान दे रखी है. पर सच में मन तो उसी मैं अटका था. फिर चपरासी को ही हिम्‍मत करके कहा कि जरा बाहर के एक दो चक्‍कर लगा कर उस लाल शर्ट वाले लड़के को ढूंढो तो सही. चपरासी के कमरे से बाहर जाते ही मैं अपनी सीट पर उस कप की खूबसूरत बनावट और लाल-पीले रंगों के बीच उस बडे से सांप को याद करने लगा जो मुझे सरकारी तंत्र में बैठे ऐसे सांपों की याद दिलाता था. मैंने न जाने कितने लोगों की शक्‍लें उस सांप में देखी थी. कभी डर सा भी लगता था कि चाय के कप पर सांप वाप टाइप की चीजें नहीं होनी चाहिएं....पर फिर ख्‍याल आया कि बनाने वाले ने सोच समझ कर ही बनाया होगा.

हां, इस कप में चाय पीकर कभी-कभी लगता था कि मानो चाय पीते ही व्‍यवस्‍था में घुस चके ऐसे सांपो से लड़ने के लिए कोई ताकत शरीर में आ जाएगी. खैर मैं अभी कप की याद में डूबा ही था कि आधे घंटे बाद चपरासी ने आकर मेरा कप मेरी नज़रों के सामने टिका दिया. चोर मिल गया था, शायद .....चोर कहना ठीक न होगा, ऐेसे कप को अकेला देखकर भला किसका ईमान नहीं डगमगाएगा ? सो ले गया होगा उठा कर. खैर मेरी आंखों का नूर...मेरा जिगरी वापस आ गया था. दिल गार्डन गार्डन था. तुरंत चाय आर्डर की और आने पर हर एक चुस्‍की के साथ कहा.......वैलकम बैक डियर फ्रैंड !!!!!

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