U TURN

मंगलवार, 4 जून 2013

सिनेमा के महान चित्रकार का यूं चले जाना....

सिनेमा की दुनिया के महान चित्रकार रितुपर्णो घोष के साथ यह तस्‍वीर 5 अगस्‍त, 2012 की रात 8 बजकर, 53 मिनट पर ली गई थी. रितुपर्णों बीते गुरूवार को इस दुनिया को छोड़ कर चले गए. शायद इसीलिए कहा जाता है कि जिंदगी बहुत छोटी है. यहां से कब कौन चला जाएगा ....नहीं कहा जा सकता. ओसियान फिल्‍म फैस्‍टीवल का समापन उस रात घोष की फिल्‍म चित्रांगदा की स्‍क्रीनिंग के साथ ही हुआ था. फिल्‍म खत्‍म होने पर जब बाहर निकले तो रितुपर्णों बाहर मिल गए. फिल्‍म में उनके शानदार अभिनय के लिए मैंने और मेरे कुछ मित्रों ने उन्‍हें बधाई दी. एक मित्र ने जैसे आने वाले वक्‍त को देख लिया था....और कहा कि रितुपर्णों जी के साथ एक तस्‍वीर हो जाए फिर पता नहीं कभी दोबारा मिल पांए या नहीं. उनसे अनुरोध किया तो मुस्‍कुराकर इनायत कर दी और अब मेरे पास उनकी यह याद शेष है. रितु दा के अभिनय और निर्देशन का जादू ऐसा था कि उनकी लगभग हर फिल्‍म को किसी न किसी श्रेणी में राष्‍ट्रीय फिल्‍म पुरस्‍कार से नवाजा गया और तमाम अंतराष्‍ट्रीय पुरस्‍कारों से भी. अभी चंद रोज पहले की कहीं पढ़ा था कि वे व्‍योमकेश बख्‍शी के जासूसी चरित्र पर आधारित अपनी नई फिल्‍म 'सत्‍यानवेषी' की शूटिंग समाप्‍त कर चुके हैं...मानवीय संबंधों की जटिलताओं और तमाम मानवीय पहलुओं को संवेदनशीलता के साथ सिल्‍वर स्‍क्रीन पर रचने वाला वो चित्रकार चला गया. यह अपूर्णीय क्षति है....और मैं अभी भी इस ख़बर पर विश्‍वास नहीं कर पा रहा हूं.

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