सोमवार, 15 नवंबर 2010
बेशर्मी की हद कहां है ?
अब टी वी पर सूहागरात का भी प्रसारण होने लगा है। बैडरूम के दृश्य अब ड्राइंग रूम में सीधे प्रसारित किए जा रहे हैं। और हमारी पाचन क्षमता दिनों दिन बढ़ती जा रही है। श्लील और अश्लील की परिभाषाएं एक दूसरे में समा जाने को आतुर हो रही हैं। सुना है पामेला एण्डरसन बिग बॉस में अतिथि के रूप में आ रही हैं। अब पामेला एण्डरसन हिन्दी धारावाहिक में आकर क्या दिखाएंगी यह सब जानते हैं। बिग बॉस की/ के डाली के संवाद सेंसर नाम की चिडिया के अस्तित्व पर ही प्रश्न चिन्ह लगा रहे हैं। पाकिस्तानी कलाकार वीना मलिक कुछ दिन पहले कुछ करती नजर आईं तो चंद रोज पहले नहाने के बाद बाथरूम ये बाहर आते समय उनका तौलिया गिर गया। अगर टी वी कार्यक्रम इसी गति से प्रगति करते रहे तो कुछ दिनों में पोर्न सामग्री का प्रसारण भी वैध हो जाएगा। सुना है कि अमर सिंह भी बिग बॉस में जाना चाहते हैं।
वहीं दूसरी तरफ राखी सावंत भी अपनी अदालत लगा कर लागों को आत्महत्या पर मजबूर कर रही है। जिनके दामन पर खुद हजारों दाग हैं वो दूसरों को सही गलत का सर्टिफिकेट दे रहे हैं। तमाशा चल रहा है। टी आर पी बढ रही है। लोग मरें तो मरें...निर्माता और प्रसारकों को इससे क्या? टीवी पर नंगा नाच हो तो हेा पब्लिक तो देख रही है ना?
मेरी सरकार से ऐसे बेतूके कार्यक्रमों पर रोक लगाने गुजारिश है।
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सौरभ जी, बड़े ही गंभीर विषय को उठाया है..निराली बात तो यह है की हमे जो मिली जुली खिचड़ी परोसी जा रही है उसका हम विरोध नहीं कर रहे|
जवाब देंहटाएं"टेलीविजन पर जबसे चढा आधुनिकता का रंग,
नामुमकिन है टी.वी देखना, घर-परिवार के संग"
"आज कल कार्यक्रमों की कहाँ तो एकदम भूसा है,
गीत-संगीत तो इनमें ज़बरदस्ती ही गया ठूसा है,
जो कमी बाकी थी,
अभिनेत्रिओं की आदाओं ने कर दी पूरी है,
खली समय कैसे बिताए,
टेलिविज़न देखना तो हमारी मजबूरी है||"
['टेलीविजन' कविता की पंक्तियाँ']: मानस खत्री