भारतीय मूल की
कनेडियन पोर्न स्टार सनी लिओन नववर्ष की पूर्व संध्या पर दिल्ली में एक स्टेज
शो करने जा रही हैं. पूरा देश जिस गैंग रेप की घटना के बाद इस वक्त नारी अस्मिता
और सम्मान के लिए उबल रहा है ठीक उसी समय एक पोर्न स्टार के देश की राजधानी में होने जा रहे स्टेज शो ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है. ये शो 31 दिसंबर की रात बाराखंबा रोड़ स्थित होटल ललित में आयोजित होगा. जहां कुछ लोग इसे नारी
देह की स्वतंत्रता से जुड़ा मसला मान कर देख रहे हैं तो कईयों को इसमें कानूनी
रूप से कोई गलत बात नज़र नहीं आती है. पर वहीं एक बड़ा तबका ऐसे लोगों का है जो एक पोर्न स्टार के शो को हलक से नीचे नहीं उतार पा रहा है. निश्चित ही समाज की तमाम
वर्जनाएं टूट रही हैं और नए प्रतिमान स्थापित हो रहे हैं. पर क्या सनी लिओन ही
वह सेलेब्रिटी है जिसके साथ दिल्ली को न्यू ईयर सेलीब्रेट करना चाहिए ?
तमाम लोग सनी लिओन जैसी पोर्न स्टार को
नारी देह की स्वतंत्रता का प्रतीक मान रहे हैं. इसमें मुझे शक है
कि कोई पोर्न स्टार जिस नारी देह की स्वतंत्रता का दम भरती है वह वाकई किसी
प्रकार की स्वतंत्रता है. स्वतंत्रता और व्यवसाय में फर्क है. हां वे स्वतंत्र
हो सकती हैं अपने देश और अपने समाज में. वहां तो पहले ही सेक्स को लेकर इतनी
वर्जनाएं नहीं हैं. फिर यह कैसी स्वतंत्रता है? हम कितना भी इसके
पक्ष में तर्क करें पर अंतत: वह स्त्री को एक उपभोग की वस्तु से ज्यादा कुछ स्थापित
नहीं कर पाती हैं. और यहीं से शुरू होती है स्त्री को मात्र एक देह समझने की संस्कृति.
एक दूसरा प्रश्न
जो इस बहस में कुछ लोग उठा रहे हैं वह यह है कि क्या सनी लिओन जैसी पोर्न एक्ट्रेस
के कारण बलात्कार जैसे अपराधों में कोई इजाफा होगा? दरअसल प्रश्न भविष्य में
परिणामों का नहीं है बल्कि प्रश्न है कि हम अपने आस-पास स्त्री की कौन सी छवी को
स्थापित कर रहे हैं. मैं यहां संस्कृति और इतिहास की दुहाई नहीं देना चाहूंगा कि
साहब हमारी संस्कृ्ति में ये होता था या स्त्री को ऐसे देखा जाता था. मैं यहां
आपकी, मेरी और हम सबकी बात करना चाहूंगा. क्योंकि संस्कृति पर बहस करेंगे तो वह
बहस भी विवादास्पद हो जाऐगी क्योंकि हमारा इतिहास भी ऐसे असंख्य दृष्टांतो से
भरा पडा है जहां स्त्री को केवल भोग की वस्तु के रूप में देखा और समझा गया है.
प्रश्न हमारा और आज का है कि आज हम स्त्री को क्या समझते हैं ? एक उपभोग की वस्तु या समाज का एक सम्मानीय अंग?
हम इस सत्य से
नहीं भाग सकते कि इस वर्ष गूगल में भारतीयों ने जिस शख्स का नाम सबसे ज्यादा सर्च
किया वह सनी लिओन ही हैं. बेशक होंगी. समाज में जब बीज ही आक के बोए जा रहे हों तो
आम कहां से होंगे. क्या सनी लिओन एक बेहतरीन अभिनेत्री हैं जो महेश भट्ट ने पूरी
दुनिया की अभिनेत्रियों को छोड़कर मात्र सनी को चुना. यह केवल भारतीय समाज में
सेक्स को लेकर सदियों की गहरी बैठी कुंठाओं को भुनाने का जरिया मात्र है. अब हमें
देखना होगा कि क्या यह समस्या है? तो मेरे नजरिए से
यकीनन है.....सेक्स के लिए वाजिब खुला स्पेस अवश्य ही होना चाहिए. जितनी अनावश्यक
वर्जनाएं हैं जरूर टूटनी चाहिएं. पर इसके कुछ नियम तय करने होंगे. क्योंकि हर चीज
सही या गलत देश काल ओर परिस्थितियों से तय होती है. हमारा समाज (जिसमें कि देश का
गांव देहात और वो हिस्सा भी शामिल है जहां औरतों को पराए मर्द को अपना चेहरा तक
नहीं दिखाने के संस्कार/संस्कृति प्रचलित हैं) पोर्न स्टार्स को स्वीकारने के
लिए परिपक्व नहीं हुआ है. इसके लिए एक दूसरे ही समाज की आवश्यकता है. जोकि भारत
में फिलहाल संभव नहीं है. जहां हमारे घरों में स्त्री-पुरूष संबंध अभी भी जंजीरों
में उलझे हों वहां किसी पोर्न स्टार के बूते नारी की स्वतंत्रता की दुहाई मात्र
ढकोसला ही रह जाती है. बहुत से सज्जन सनी लिओन के सेलेब्रिटी बनाने पर की जा रही
आपति पर बहस करते हुए तर्क देते हैं कि भाई यह भी एक प्रोफेशन है इसमें क्या
बुराई है? इस पर बांग्लादेश की लेखिका तस्लीमा नसरीन इन लोगों से तीखा प्रश्न
करते हुए पूछती हैं कि “जब आप पॉर्न स्टार को एक सेलेब्रिटी बनाते हैं, तो आप एक
एस्ट्रानॉट, इंजीनियर या डॉक्टर बनाने की बजाय अपनी
बेटियों को भी एक पार्न स्टार बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं ?’ सवाल वाजिब है और बहुत संभव है कि इसका उत्तर उन लोगों के पास नहीं
होगा.
सनी लियोन को लाना
एक लॉबी और एक विचार-पक्ष के लोगों की सोची समझी रणनीति ही है....और इसकी शुरूआत
महेश भट्ट अपनी फिल्म जिस्म 2 से पहले ही कर चुके हैं. उन्होंने बरसों से कुंठा में जी रहे भारतीय
समाज को एक सेक्स के बडे सिंबल से परिचय करवा दिया है. ये एक शुरूआत भर थी जिसे
अब बाजार पूरी तरह भुनाने को तैयार बैठा है. फिल्म के बाद जितने एंडोर्समेंट सनी
लिओन को भारतीय बाजार से मिले हैं वह वाकई हैरतंगेज हैं. बिग बास में तो
प्रतिभागियों के लिए पहली शर्त ही विवादास्पद होना है. कुछ दिनों पूर्व देश के
सभी प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में सनी लिओन के चित्रों से अटे मैनफोर्स कोंडोम
कंपनी के पूरे पूरे पृष्ठ के रंगीन विज्ञापन अभी सभी को याद ही होंगे. अब सनी
लिओन भारत में दिल्ली वालों को नये साल की खुशियां मनाने का सलीका सिखाने आ रही
हैं. ये बस एक शरूआत है....दुनिया भर की पोर्न इंडस्ट्री भारत में अरबों रूपए का बड़ा
बाजार देख रही है और महेश भट्ट जैसे हमारे देसी एजेंट उनके आगमन को अवतार साबित
करने में कोई कसर नहीं छोडेंगे.
बेशक इस स्टेज शो के
टिकट इतने मंहगे हैं कि इस शो में देश का धनाढ्य तबका ही शामिल होगा पर क्या ये धनाढ्य
और तथाकथित ‘सभ्रांत’ तबका इस समाज का हिस्सा नहीं है? वे कौन लोग हैं जो संवदेना और शोक में डूबे शहर के बीच से निकल कर इस जश्न में शामिल होंगे? क्या उन्हें यकीन है कि उनकी बच्चियां सुरक्षित हैं? क्या वे ये समझते हैं कि दिल्ली और पूरा देश यूं ही शोर कर रहा है ?क्या ये डिसकनेक्टेड लोग हैं? या देश और समाज से कोई सरोकार न रखने वाले लोग ? ये केवल और केवल अय्याशी है. हम अय्याशी को हवा देंगे तो बलात्कार जैसे
अपराध बढेंगे ही. परंतु अब अगर आप मुझसे पूछने लगें कि क्या मेरे पास इस बात के कोई
प्रमाण मौजूद है कि सनी लिओन के शो से निकलने के बाद कितने लोगों ने बलात्कार किए
तो साहब इस वाहियात प्रश्न का उत्तर न होने के लिए मैं पहले ही क्षमा मांग लेता
हूं. सनी लिओन भले ही बलात्कार जैसे अपराधों के लिए उत्तरदायी न हो पर वह स्त्री
की वह क्षवि खड़ी नहीं करती जिससे कि हम एक स्त्री को सम्मान की दृष्टि से देख
पाएं.
बाजार से किसी को
सीधे तौर पर कोई खतरा नहीं दिखाई देता है. यही बाजार की कला है कि वह आपको ज़हर भी
इस अदा से बेचता है कि आप उसे अमृत मान कर खरीद लेते हैं. जिस स्वतंत्रता और स्त्री
अधिकार के नाम पर नंगापन समाज में सींचा जा रहा है वह अभी दिखाई नहीं दे रहा. सब
नशे में हैं और आधुनिकता के नग्न नृत्य में मग्न हैं. जब तक 'शीला की जवानी' और 'मुन्नी बदनाम हुई' और 'लौंडिया पटाएंगे
मिस्ड कॉल से'
जैसे गीत बनेंगे और
समाज उन्हें गुनगुनाएगा, शादी बयाह में बजाएगा तब तक हम औरत के प्रति सम्मान का वातावरण
सुनिश्चित नहीं कर सकते. पूरी बेहयाई से स्त्री को महज एक प्रोडक्ट बना कर रख
दिया है हमारी फिल्मों, टीवी और विज्ञापन की दुनिया ने. और हम नशे में हैं और इस नशे में ये भूल रहे
हैं कि हम अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए जो प्रतिमान स्थापित कर रहे हैं वह उस पूरी
पीढ़ी को बर्बाद कर सकते हैं. हमारी ये जरूरत से ज्यादा ‘आजाद ख्याल’ गुमराह
जीवन शैली ही सामाजिक समस्याओं की जड़ बन रही है. अगर नैतिक और चारित्रिक पतन
जैसी किसी चीज का अस्तित्व है तो वह इसी समय घटित हो रही है.
मुझे मालूम है कि
सनी का ये शो नहीं रूकेगा, और ये भी संभव है कि आने वाले दिनों में इस पोर्न स्टार
सहित और कई पोर्न स्टार्स के शो भारत में होंगे, ये भी हो सकता है कि जल्द ही
भारत में वैध रूप से पोर्न फिल्में बननी शुरू हो जाएं, ऐसी भी स्थिति आ सकती है
कि गरीबी से मजबूर होकर हमारे देश की बेटियां इस पेशे में आने लगें, एक दिन ऐसा भी
आ सकता है भारत की पोर्न फिल्मों के बाजार का टर्न ओवर विश्वभर में सबसे ज्यादा
हो जाए, तब भी कुछ लोग उसे आर्थिक प्रगति ही कहेंगे....सब यूं ही चलता रहा तो सब
कुछ संभव है. अब देश को तय करना है कि वह कैसा भविष्य चाहता है और फिलहाल दिल्ली
को तय करना है कि क्या वह दामिनी की मृत्यु के शोक के बीच नये साल का स्वागत सनी
लिओन के साथ करेगी?
(ये लेखक के निजी विचार हैं इनसे सभी का सहमत होना
अनिवार्य नहीं है)