इस होली पर मैं कुछ ऐसे रंग लाया हूं
चढ़ें जो मन पर, महकें तन पर संग लाया हूं।
रंग है अहसास का, आस का, विश्वास का
रंग सबके मन में खिलने वाले इस मधुमास का,
कष्ट में भी मुस्कुराकर आगे ही बढ़ते रहें
रंग ऐसे हर्ष का, उत्साह का, उल्लास का ।
रंग शक्ति के, आसक्ति के और प्रेम की अभिव्यक्ति के
रंग करूणा के, दया के, धर्म के और भक्ति के,
प्रेम जिनकी कल्पना में, स्नेह ही संकल्पना में
रंग अमीरों के, गरीबों के, हर उस ऐसे व्यक्ति के।
होली के हुड़दंग में भी प्रेम का संदेश दें जो
रंग मधुरता के, सरसता के और समरसता के,
रंग जो सीधे मन को छू लें, ऊंचा-नीचा भेद भूलें
रंग निश्छल भावना के, प्रीत के और आस्था के।
इस होली पर मैं कुछ ऐसे रंग लाया हूं..........
-सौरभ आर्य